Monday, July 13, 2009

Ek Kavita ensaf par


इन्साफ जनता की रोटी है
जिस तरह रोटी की जरूरत रोज़ होती है
इन्साफ की जरूरत भी  रोज़  है
बल्कि दिन मैं कई कई बार भी उसकी जरूरत है |
इन्साफ की रोटी जब इतनी महत्त्वपूर्ण है
तब दोस्तों कौन उसे पकायेगा ?
दूसरी रोटी की तरह
इन्साफ की रोटी भी
जनता के हाथों पकनी चाहिए
भरपेट, पौष्टिक,  रोज़  ब  रोज़ ||

ब्रेख्त


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