Wednesday, February 20, 2013

’’मेरा विश्वास है कि, मेरे पति की मृत्यु दंड की सजा माफ होगी’’


मेरा नाम उषा चैहान है मेरी उम्र 45 वर्ष है मैं अशिक्षित हूॅ। मेरे पति रामजी चैहान 16 वर्षो से मुझे हत्या के झूठे आरोप में नैनी जेल में बन्द है। वह पहले गुब्बारा बेचने का काम करते थे उनके जाने के बाद अब मै अपने ससुराल में ही देवर के साथ कागज का खिलौना बनाकर अपना और अपने परिवार का जीवन यापन कर रही हूँ। मेरी दो बेटिया गुडिया 19 वर्ष और ज्योति 17 वर्ष की है जो पास के ही एक सरकारी माध्यमिक विद्यालय में कक्षा 8 में पढ़ती है। मैं 58/126 बी नवापुर, मैदागिन, थाना- कोतवाली, जिला-वाराणसी की रहने वाली हूँ।


 अभी दो दिन पहले (15-2-2013) मुझे यह खबर मिली कि मेरे पति को फॅासी की सजा हो जायेगी, यह सुनकर तो मेरी सारी दुनिया की जैसे उजड़ गयी। आज 16 साल से मै इसी आस में हॅू कि आज नहीं कल तो मेरे पति को न्याय मिलेगा। उन्हें इस झुठे मुकदमे से बाइज्त बरी कर दिया जायेगा लेकिन अब तो मेरे आॅखों के सामने पूरा अंधेरा दिखाई दे रहा है। सोलह साल से हम लोग भूखे प्यासे रहकर इस उम्मीद से लड़ रहे थे कि मेरा सुहाग और मेरे बच्चियों के उपर उनके बाप का साया रहे अभी सोचती हूँ तो दिल दहल जाता है। कि किस तरह रात भर रो रोकर गुजारा है, मेरी बूढ़ी सास जो बेटे के सदमे में बिमार रहती है और रोती रहती है उनके कानो तक सह बात को सुनने के बाद मेरे अन्दर यह डर सा हो गया है कि अगर उन्हें कुछ हो गया तो हमारा क्या होगा।
 मैंने सोलह साल की कड़ी तपस्या से उनका इन्तजार किया है। मेरी इस तपस्या में मेरा परिवार मेरा सहारा बना और मै उनकी हिम्मत मेरी सास भी इसी उम्मीद में है कि पहले की तरह वह मेरे पति और अपने परिवार में वापस देखना चाहती है। मेरी बेटिया भी सवाल पूछती है कि उनके पापा कब आयेगें मैं उन्हे यही ढाढ़त बधाती हूँ कि वह जल्दी ही आ जायेगे ईश्वर इतना बड़ा अत्याचारी हमारे उपर नहीं कर सकता यही उम्मीद मैने अब भी नही छोड़ा है मैं सरकार से भी इल्तिजा करती हूँ कि वह मेरे फरियाद को सुने और मेरे पति के साथ इंसाफ करे नही ंतो न्याय से लोगो का विश्वास हट जायंगाॅ।

 मै इस बातो से बिल्कुल अन्जान थी कि इतना बड़ा हादसा मेरे परिवार के साथ होगा यह घटना(6-10-1996) की है। अक्टूबर का महीना था जुतिया त्योहार के तीसरे दिन की सुबह मै शौच के लिए उठी थी इस समय सुबह के पाॅच बज रहे थे तभी काफी संख्या में पुलिस की भीड़ आते दिखाई दी मुझे लगा कोई आस पास घटना हुई होगी पुलिस इसी लिए आयी है मैं सही सोच रही थी तभी उन लोगो की भीड़ मेरे घर की तरफ आते हुए दिखी मै बिल्कुल अन्जान थी उस समय मेरे पति घर पर सोये थें उस रात उन्हें तेज बुखार था वह दवा खाकर सोये थे तभी वह लोग आये और इन्हें पकड़कर ले जाने लगे बोले इस पर इसके बहनोई के भाई के परिवार का हत्या का आरोप है यह सुनकर हम लोग घबरा गये कि अभी पैर टुटने के कारण छः महीने से यह बिस्तर पर थे आखिर से ऐसा क्यों करेंगें, इसी घबराहट मे हम लोगो ने उनका एक्सरे दिखाया तब उन पुलिस वालो ने कहा हम पूछताछ कर छोड़ देगे और उन्हें भेलूपुर थाने ले गया। चैबीस घंटे तक उन्हें थाने में रखा फिर उन्हें चैकाघाट जेल भेज दिया उस दिन हम लोग पूरे दिन रातभूखे प्यासे रोते रहे कि यह क्या हो गया पुलिस उन्हें क्यों फसा रही है। आखिर वह उनकी हत्या क्यों करेगें। जीजा के भाई से उनकी क्या दुश्मनी होगी यह बात दिन रात दिमाग मे चल रही थी मुझें नहीं पता था कि उन लोगो के आपस में जमीनी विवाद के चक्कर मे मेरे पति को फसाया जायेगा मेरे जीजा के भाई ने बेकसुर, पलिस को पैसा देकर मेरे पति और मेरे नन्दोई को फसाया हैं।

 तीन साल तक चैकाघाट जेल में मै जब भी उनसे मिलने जाती तब वह यही कहते माँ और बच्चों का ख्याल रखना मैं जल्दी ही घर वापस आऊगाँ मैने कुछ भी नही किया है। यह कहकर वह रोने लगते यह देखकर मै अन्दर से रोती थी क्योंकि अगर सामने रोऊँगी तो उन्हें तकलीफ होगी। यह कहते हुए उसकी आँख भर आयी। यह कहते हुए कि किसी तरह तीन साल बीत गये यहाँ नजदीक था थोडे़ पैसो में मैं उनसे मिलने चली जाती थी लेकिन अब तो वह पुर नैनी बड़े जेल इलाहाबाद मेें उन्हें भेज दिया गया है। हम गरीब लोगों के पास इतना पैसा कहा होता है कि हम उनसे मिलते बार-बार जाये। जब मिलने का मन करता था कही से इंतजाम करके उनसे मिलने जाती थी। कम से कम एक भर निगाह देख लेने से मन को संतुष्टि मिलती थी। घर की हालत इतनी खराब हो गयी है। कि एक-एक चीज इनका केस लड़ने और उन्हें छुड़ाने में सब बिक गया। इसी उम्मीद से कि यह हमारे पास आ जाये सामान का क्या है। पहले भी हम जी खा रहे थे अभी भी थोड़ा बहुत में किसी तरह जीवन गुजार रहे हो हम गरीब लोगो को तो हर रोज कुआॅ खोदना और पानी पीना है।

 मुझे अपने पति और परिवार की चिंता दिन रात सताये जा रही है हर समय दिमाग मंे यही बात घुमता रहता है कि कब यह जेल से छुट कर आयेगे और हमारे साथ फिर से पहले की ही तरह रहेगे मै अकेले थक गयी हूँ परिवार का साथ है लेकिन एक पत्नी के लिए उसके पति का साथ होना ही उसका सबसे बड़ा सहारा होता है। यह सहारा मुझसे छिन गया है इस झुठे आरोप के कारण मेरे पति कही मुझसे बहुत दूर चले जाये सही डर दिन रात मुझे सता रही हैं। रात को जब सोती हॅू तो मन में बुरे-बुरे ख्याल आते है। गरीबी के कारण मैं उनसे बार-बार मिलने भी नही आ पाती अपने मन को मार कर अपने दिल को तसल्ली देकर कि आज नही तो कल उनके साथ न्यास होगा और वह मेरे साथ होगें।

 उनकी अच्छाईया ही मुझे हिम्मत देती है। वह जेल में भी रहकर हमारी फिक्र करते है अपनी बूढ़ी माॅ की चिंता उन्हें दिन रात सताती रहती हैं।


साक्षात्कारकर्ता: फरहत

सोलह वर्ष से माँ की आँखे तरस गयी बेटे को देखने के लिये,


अभी भी हमारा समाज और कानून व्यवस्था इतनी अन्धी है कि कुछ कहा नही जा सकता गुनाह करने वाला खुले आम घुमता है और एक बेगुनाह सलाखो के पिछे सडाया जाता है। ऐसे ही एक माँ अपने बेटे के लिए जिन्दा लाश बनकर इन्तजार में आॅचल बिछाये हुये बैठी है, आइये पढ़ते हैं। एक माँ की दर्द और ममता भरी कहानी।

 मेरा नाम मुला देवी उम्र 70 वर्ष हैं। मेरे पति का नाम स्व0 शोभनाथ है। मै जाति की चैहान हूँ। मेरे पाँच बेटे हैं, बेटे का नाम रामजी,लक्ष्मण, भरत, शतुध्न, श्याम है। मेरी बहु का नाम ऊषा देवी है। मै ा 51/12 ठ नवापुर, थाना-कोतवाली, जिला-वाराणसी कि निवासी हूँ।

 मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हैं। मेरा छोटा बेटा कागज का खिलौना बनाकर बेचता है। किसी तरह गुजर बसर हो जाता है। इस समय मैं किराये के टिन सेट के मकान मे रहती हँू। क्या पता था कि एक दिन ऐसा तुफान आयेगा कि मेरे घर परिवार को बर्वाद कर के रख देगा। घटना दिनांक 05-06-1996 को खोजवा जिउधीपुर थाना-भेलूपुर में मेरी बेटी की शादी हुयी है। उन्ही के देवर मन्नू चैहान पत्नी गंगा देई व तीन बच्चांे की हत्या हो गयी थी।

 इसी घटना के मामले में दिनांक 06/10/1996 को भेलूपुर की पुलिस मेरे घर चार बजे भोर में आयी, उस समय मेरा बेटा रामजी,और मेरा पुरा परिवार सो रहा था, पुलिस आयी दरवाजा खटखटाने लगी,मै जब दरवाजा खोली तो देखी कई पुलिस हाँथ में डंडा, बन्दूक लिये गाली देते हुये पूछे कि बुढि़या बताओ रामजी खूनी कहाँ है।
मै सुनकर चैक गयी, हिम्मत जुटाते हुये बोली साहब ये क्या कह रहे है, भला मेरा बेटा खुन क्यो करेगा, इतना सुनते ही दूसरा पुलिस हमको धक्का देते हुए कमरे में घुसकर तलाशी लेने लगा।

 मै रोने चिल्लाने लगी, मेरे बेटे रामजी को पुलिस वालो ने मारकर जगाया और जबरजस्ती धकेलते हुए मेरे बेटे को जीप में बैठाकर ले गयी।

 उस समय ऐसा लग रहा था जैसे मेरे घर में मातम छाँ गया हो, मेरी बहू, पोती लपट कर रोने लगी। मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था, मै क्या करू मेरे बेटे को भेलूपुर थाने में कोई पुछताछ नहीं किये। मेरा छोटा बेटा आकर बताने लगा, उस समय मै सुनकर बेहोश हो गयी, मेरी बहू बिलख-बिलख कर रोने लगी, कहाँ का कहर मेरे परिवार पर टूट पड़ा। इसी तरह करते-करते सोलह वर्ष बित गये, लेकिन बेटा घर नहीं आ पाया रात दिन चिन्ता लगी रहती है कि कब मेरा बेटा आयेगा बेटा को छुड़ाने के चक्कर में मेरे घर का कल्छुन तक बिक गया, लेकिन मेरा बेटा जेल से छुटकर आ नहीं पाया, जब से पता चला है कि मेरे बेटे को फाॅसी की सजा होने वाली है, अब तक तो इन्तजार था कि मेरा बेटा आ जायेगा लेकिन अब किस उम्मीद से कहूँ, मेरी अन्दर की आत्मा मर चुकी है, बेटा के बदले मुझे ही लोग फाॅसी की सजा देदे। लेकिन मेरे बेटे को छोड़ दे, बेटे की चिन्ता में लगता है, कि मेरे प्राण निकल जायेगा। रात-रात भर रोती रहती हूँ, भगवान की दुहाई माँगती रहती हूँ। हे प्रभु मेरे बेटे को मेरे आॅचल में भेज दो कौन सुनता है मुझ गरीब को अमीरो की दुनिया है।

 बस किसी तरह मेरा बेटा आ जाये, मै यही चाहती हूँ। आपको अपनी सोलह वर्ष की सच्ची घटना बता रही हूँ। मेरा मन अभी भी शान्त नहीं है।

मन मे बहुत घबराहट हो रही है। आप लोगो से मिल कर बहुत अच्छा लागा। बस मेरे बेटे को फाॅसी की सजा होने से बचा लिजिए। क्यों कि मेरा बेटा बेगुना है।

साक्षात्कारकर्ता: छाया देवी    

 Link for the mercy petition: http://www.pvchr.net/2006/04/campiagn-against-death-penalty.html

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